नारी विमर्श >> औरत : कल आज और कल औरत : कल आज और कलआशा रानी व्होरा
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"अतीत से भविष्य तक : भारतीय नारी संघर्ष और चेतना की सशक्त कहानी"
1917 में मद्रास में श्रीमती मार्गेट कजिंस ने अखिल भारतीय स्तर के प्रथम महिला संगठन ‘इंडियन वीमेंस एसोसिएशन’ की स्थापना की। उसी वर्ष के अंत में श्रीमती सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में महिलाओं का एक शिष्टमंडल श्री मांटेग्यू, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया से मिला और महिला-मताधिकार की मांग की, जिसके छह वर्ष बाद ही भारतीय स्त्रियों को यह अधिकार मिल गया, जबकि इंग्लैंड की स्त्रियों को इसके लिए अस्सी वर्ष लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। उसी वर्ष राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर डॉ. एनी बेसेंट ‘पहली महिला’ के रूप में आसीन हुई थीं। भारतीय राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भाग लेने का स्त्रियों का यह प्रथम अवसर था और इस जागृति के प्रेरक थे स्वयं गांधीजी।
भारत का ‘नारी मुक्ति-संघर्ष’ पश्चिम के ‘वीमेंस लिब’ आंदोलन से एकदम भिन्न रहा है। पुरुषों के सहयोग से किए गए संघर्ष के फलस्वरूप भारतीय स्त्रियों को आजादी के तुरंत बाद बराबरी के संवैधानिक अधिकार मिल गए। आजादी के बाद इन अधिकारों को सामाजिक अधिकारों में बदलने के लिए भी उसी तरह साझी लड़ाई लड़ी जाती तो न उन्हें पुरुष-प्रतिद्वंद्विता में पड़कर उनका कोप झेलना पड़ता, न इस कदर स्त्री-शोषण ही बढ़ता।
श्रीमती व्होरा की महिला-उपलब्धियों पर बेजोड़ पुस्तक-माला की ही नवीनतम कड़ी है औरत : कल, आज और कल, जिससे न केवल इस दिशा में शोधरत अध्येता भी अनेक जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे बल्कि नई पीढ़ी की पाठिकाएं भी इससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में कुछ सार्थक कर दिखाने की ओर अग्रसर होंगी-इसी आशा-अपेक्षा के साथ पुस्तक पाठक-पाठिकाओं और अध्येताओं को अर्पित है।
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